"कैसे मान लूँ है खुदा तूँ , मस्जिद के तख्त पर है बैठा, रहिम बनकर तूँ; चर्च के क्राॅस पर है लटका, जिजस् बनकर तूँ ; मंदिर के सिंहासन पर है बैठा, राम बनकर तूँ ;
गुरूद्वारे के ताज पर है खड़ा, गुरुनानक बनकर तूँ;
कैसे मान लूँ है खुदा तूँ!
आया है सामने ऐसे लगे, नहीं हो इनमें से कोई जैसे । अगर मान लूँ है खुदा तूँ, खुद ही बता दें, इनमें से - 'कौन सा है तूँ'? "