चौराहों पर चर्चे मेरे नाम के, सरेअाम हो रहे हैं।
तेरे गलियों से जिस दिन गुजरा, उस दिन से मेरे किस्से आम हो रहे हैं।
चौराहों पर चर्चे मेरे नाम के, सरेअाम हो रहे हैं।
था कल तक मैं अच्छा-भला, कहते हैं सब मुझसे ही, कहानियाँ सुनाकर, किस्सों को अपनाकर, बतलाते बदले-बदले से, आजकल मेरे काम हो रहे हैं। चौराहों पर चर्चे मेरे नाम के, सरेअाम हो रहे हैं।
तेरे गलियों से जिस दिन गुजरा, उस दिन से मेरे किस्से आम हो रहे हैं।
तेरे साथ ही देखा था किसी ने, मुझे, पिया-मिलन के बाजार में, सुना घर में भी, चर्चे इसके, दबीजुबान हो रहे हैं। चौराहों पर चर्चे मेरे नाम के, सरेअाम हो रहे हैं।
मेरे घर के सामने से,जिस दिन गुजरी, तुँ मुस्कुराकर, हैं नहीं तुझमें थोड़ी सी, भी शर्मो-हया, इस बात पर, बहस हर, दुकान हो रहे हैं। चौराहों पर चर्चे मेरे नाम के, सरेअाम हो रहे हैं।
जो गर्व से लेकर हमारे नाम को, अपनी पहचान बताते थे, उनके भी नाम, मेरे नाम से, अब बदनाम हो रहे हैं। चौराहों पर चर्चे मेरे नाम के, सरेअाम हो रहे हैं।
न जाने किस मिट्टी के बने हैं, इश्क किया मैंने और तुमने, और हमारे मुहल्ले वालों के, इज्जत नीलाम हो रहे हैं। चौराहों पर चर्चे मेरे नाम के, सरेअाम हो रहे हैं।
तेरे गलियों से जिस दिन गुजरा, उस दिन से मेरे किस्से आम हो रहे हैं। चौराहों पर चर्चे मेरे नाम के, सरेअाम हो रहे हैं।