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अधूरे ख्व़ाब

Writer's picture: etaoppvtltdetaoppvtltd

कई ख्व़ाब जो अधूरे हैं, जिनके चर्चें, अधरों पर भी होते नहीं पुरे हैं।

दिल की गलीयों में आज हमने, फिर से उन्हें तलाशा है । है खुदा का इतना कऱम की, आज उसने फिर से हमें तराशा है ।

उससे आत्मविश्वास से हम फिर भरें हैं। हकिकत के मुहल्लें में हम अब उतरे हैं।

अधूरे ख्व़ाबों के चर्चें अब अधरों पर खुद के ही नहीं, औरों के लवों से उचरें हैं।

क्योंकि आज हकिकत के मुहल्लें में पताका, ख्व़ाबों का पुरा कर लहरानें, फिर से हम, 'सीना ताने खड़ें हैं।'

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