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तुम भी गैर

  • Writer: etaoppvtltd
    etaoppvtltd
  • Dec 31, 2020
  • 1 min read

पूछा मेरे रकिब ने मुझसे,

आखिर हुई क्यूँ उनकी आपसे वैर।

पूछा उससे क्या चाहते हो,

मैं और दर्द सहूंँ,

करके उसके यादों की फिर से सैर। ।


हालत उसकी देख कर सोचा बता ही दूँ,

क्या हुआ, कैसे हुआ, क्यों हुआ...

जिससे सोच समझ कर हर बार उठाए वो भी पैर।

ज़रा और तफ़सील मे पूछा उसने तो,

कहा मैंने छोड़ों जाने भी दो, क्या सोचना,

उन बातों का जब हम हो ही गए उनके गैर।।


मेरा तो जो भी होना था, हो ही गया,

छोड़ों सब मेरे हालात जैसे है वैसे ही,

तुम अपनी बताओ सब ठीक तो है, खैर।

या तुमसे भी शुरू हो गई है उनकी,

बेवजह रूठना, चिल्लाना और गुस्साना ,

क्या तुम्हारे भी ना रहे वो हबीब,

और होने लगे हो तुम भी अब गैर।।



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