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पहली बार नजर

Writer's picture: etaoppvtltdetaoppvtltd

देखा, फिर से मैंने आज उस दर्पण को, पहली बार नजर, जिसमें तू आयी थी।

कुछ था कर रहा ब्यान, वो मुझसे, कुछ निशां सा, बना था लवों से।

शायद एक झलक पाने, तुं भी, वहाँ आयी थी। नजर मैं न आया था, तुझे, झूठ कहा था, न, तुनें। नहीं तो वो गुलाबी निशां, किसको करने अर्पण आयी थी।

देखा फिर से, मैंने आज उस दर्पण को, पहली बार नजर, जिसमें तू आयी थी।

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