नींद अब नहीं आती, रात यूँ गुजरती है ; मैं इधर तड़पता हूँ, वो उधर तड़पती है ।
चादरों की सिलवटें, कुछ इस तरह से डँसती है; मैं इधर तड़पता हूँ, वो उधर तड़पती है ।
ख्यालों में तन्हाँई की बिजली जब कड़कती है; मैं इधर तड़पता हूँ, वो उधर तड़पती है ।
दिल में जज्बातों की बदली जब घिड़ती है; मैं इधर तड़पता हूँ, वो उधर तड़पती है ।
ख्वाबों में मुहब्बत की जब हल्की परछाईं सी दिखती है; मैं इधर तड़पता हूँ, वो उधर तड़पती है ।
जुदाई के कंटकों के खौफ से रूह जब कपसती है; मैं इधर तड़पता हूँ, वो उधर तड़पती है ।
नींद अब नहीं आती, रात यूँ गुजरती है ; मैं इधर तड़पता हूँ, वो उधर तड़पती है ।
"नींद अब नहीं आती ।"