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इश्क हमारा है जदोजहद् में

Writer's picture: etaoppvtltdetaoppvtltd

इतना भी बेरूखी ना कर की, मैं खुद को ही भुल जाऊँ, इसके जद में।

है क्या खता मेरी? तूँ बता दें तो रहूँ उसके हद में, हाँ मैंने माना की खामियाँ है मुझ में, पर ना रख, छुपाकर अपनी खामियों को परदे में।

'इश्क हमारा है जदोजहद् में, ' क्योंकि तूँ भी है नहीं अब अपने हद में, था घेरा मेरी आशिकी को तुमने ही, वादाओं के सरहद में ।

खुद ही तोड़ रही वफाओं की बेड़ियाँ, डाल कर वादों के वेजद में ।

इतना भी बेरूखी ना कर की, मैं खुद को ही भुल जाऊँ, उसके जद में,

रह, तूँ भी कर सब शिकवे गिले अपने हद में ।

इतना भी बेरूखी न कर....................... ।

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